
सागर। वंदे भारत लाईव टीवी न्यूज रिपोर्टर सुशील द्विवेदी। जिला पुरातत्व, पर्यटन एवं संस्कृति परिषद सागर द्वारा वर्षा ऋतु में ‘पावस पर्व’ श्रृंखला के तहत प्रथम आयोजन के रूप में, जिला पुरातत्व संग्रहालय सागर में सामाजिक संबंधों में क्रूरता कारण एवं निवारण विषय पर एक महत्वपूर्ण परिचर्चा आयोजित की गई। मुख्य वक्ता के तौर पर, डॉ. दिवाकर सिंह राजपूत, डीन एवं विभागाध्यक्ष, समाजशास्त्र विभाग, ने समाजशास्त्र के मानवीय मूल्यों की अवधारणा को विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, और वह निरंतर विभिन्न सामाजिक संबंधों के साथ बड़ा होता है। उन्होंने समझाया कैसे मानवीय मूल्य सामाजिक संबंधों को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और क्रूरता को कम करने में सहायक हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह का जुनून यदि पाज़िटिव है, तो वह सदाचार में और यदि नेगेटिव है तो अनाचार में परिवर्तित होता है। तथा कथित पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण के दुष्प्रभाव एवं उससे युवा पीढ़ी को बचाने के संदर्भ में चर्चा की।जिसके विमर्श के रूप में प्रोफ़ेसर डॉ दिवाकर सिंह राजपूत, डीन एवं विभागाध्याक्षक, समाजशास्त्र विभाग, डॉ हरी सिंह गौर विश्वविद्यालय ने कहा कि सामाजिक संबंधों के पुननिर्माण एवं वसुधैव कुटुंबकम की भावना को साकार करने के लिए आ अब लौट चलें .. .. .. .. सामाजिक सरोकार की एक नई पहल स्कूल एवं कॉलेज के विद्यार्थियों के साथ करनी होगी। डॉ. दिव्या भनोट, सहायक प्राध्यापक, मनोविज्ञान, डॉ हरी सिंह गौर विश्वविद्यालय ने सामाजिक संबंधों के मनोविज्ञान को अत्यंत सरलता से समझाया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार मानवीय व्यवहार और भावनाएँ सामाजिक अंतःक्रियाओं को प्रभावित करती हैं और क्रूरता की जड़ों को समझने में मनोविज्ञान की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने “गुजारिश इस तरह कर, के दुश्मन मीत बन जाये” के द्वारा समझाया कि आपस में सामाजिक व्यवहार को ऐसे रखें जिससे दूसरे व्यक्ति भी आपके मित्र बन जाए। उन्होंने आज के समय में सोशल इमोशनल इंटेलिजेंस की आज के समय में महत्ता बताई। वरिष्ठ अधिवक्ता महेश नेमा ने सामाजिक मूल्यों एवं कानूनी सलाहकार के रूप में महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैसे कानूनी प्रावधान सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने और क्रूरता के मामलों से निपटने में सहायक होते हैं, साथ ही सामाजिक मूल्यों के महत्व पर भी जोर दिया।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ आशीष द्विवेदी ने सभी वक्ताओं एवं श्रोताओं के बीच सामाजिक संबंधों के आयाम एवं परिचर्चा के बिंदुओं को स्पष्टता प्रदान की।
एडीएम रूपेश उपाध्याय एवं सभी प्रबुद्धजनों ने स्वीकारा और सामाजिक संबंधों के लिए स्कूल एवं कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए सामाजिक मूल्यों के संवर्धन हेतु कार्यशाला आयोजित करने के निर्देश दिए। अमित मिश्रा ने पावस पर्व के इस प्रथम कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कार्यक्रम में उपस्थित सभी वक्ताओं एवं प्रबुद्धजनों का आभार व्यक्त करते हुए आगामी कार्यक्रमों में भी सहभागिता के लिए प्रेरित किया।